तुमने गोली क्यों चलाई
क्या तुम्हें एक लम्हा भी, माँ याद नहीं आई
वो माँ जो तुम्हारे ज़रा सी देर से घर लौटने पर, घबरा जाती थी
तुमने उस माँ के बच्चे को घर आज लौटने नहीं दिया
तुम्हारी भी तो ऐसी ही माँ थी ना
फ़िर तुमने गोली क्यों चलाई ……
याद है जब छिले घुटने ले कर तुम लौटते थे
खून का वो छोटा सा धब्बा देख कर वो सहम जाती थी
तुमने खून से सने बच्चे उस माँ के, आज घर भेजें हैं
तुम्हारी भी तो ऐसी ही माँ थी ना
फ़िर तुमने गोली क्यों चलाई ……
रोते थे तुम जब किसी बात पर
वो खुद रो पड़ती थी, आँसू तुम्हारे पोंछते पोंछते
चीखते चिल्लाते उस माँ के बच्चे को आज तुमने मार डाला
तुम्हारी भी तो ऐसी ही माँ थी ना
फ़िर तुमने गोली क्यों चलाई ……
फ़िर तुमने गोली क्यों चलाई ……
1 comment:
Sir where did u gone from twitter...pls come back soon .Please
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