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Tuesday, January 24, 2012

तेरी यादों की उम्र अब भी वही है...


तेरी हर बात में  ज़िन्दगी की... खुशबु  थी.... 
बातें तेरी  अब भी महकती  हैं.... यूँ लगता है जैसे की... तुने बस अभी कही हैं... 
तुझे गुज़रे हुए एक अरसा बीत गया... पर तेरी यादों की उम्र अब भी वही है...

न सच झूठ का पता था मुझे...  न सही गलत की खबर...
अपने सचों को को झूठ कहा था मेरे लिए ... मेरी गलतियों को  भी... तुने कहा था  सही है...
तुझे गुज़रे हुए एक अरसा बीत गया... पर तेरी यादों की उम्र अब भी वही है...

मेरे हर आंसू को थामा था तुने अपना लहू समझ कर... 
तेरे बूढी आखोँ को याद कर.... न जाने मेरी आसुओं की ...कितनी नदियाँ बही हैं... 
तुझे गुज़रे हुए एक अरसा बीत गया... पर तेरी यादों की उम्र अब भी वही है...

मैं अब भी चुप रह के सुनता हूं तुझको....
तेरी वो फटी धुंधली तस्वीर आज  न जाने क्या क्या कह रही है.. 
तुझे गुज़रे हुए एक अरसा बीत गया... पर तेरी यादों की उम्र अब भी वही है...

वो घर नहीं हैं अब... न वो दीवारें...
दिल को लेकिन कैसे  समझाऊं के अब.... तू भी नहीं है... 
तुझे गुज़रे हुए एक अरसा बीत गया... पर तेरी यादों की उम्र अब भी वही है...

12 comments:

sumit said...

बहुत खूब लिखा है जनाब...

Rajeev Upadhyay said...

Wah Kya baat hai Mithilesh ji. bahut khub kaha aapne.......

Vikram Gujar said...

super

...Radha said...

touching. brought back some fond memories

Unknown said...

bahut achhi kavita hai mithilesh. bahut khoob.

निभा said...

बेहद खुबसूरत

Unknown said...

bahut khub.

Unknown said...

बेहद उम्दा ••••!

Unknown said...

So nice mithilesh sir....

Unknown said...

Nice h sir

Unknown said...

बेहतरीन सर

Unknown said...

I like your all poems