विश्वास की आवाज़ दब गयी
वो बेईमान आदमी भी
हद से गुज़र गया है
सही कहा तुमने,
गाँधी मर गया है.
जो निभाते थे वादे कभी
आज करने से कतरातें हैं
वो वादों को निभाता आदमी
भी
आज मुकर गया है
सही कह तुमने गाँधी मर गया है
थी हरियाली चारों तरफ
अब रह गयी घाँस सिर्फ
वो हरी घाँस भी यारों
कोई चर गया है
सही कहा तुमने गाँधी मर गया है
अन्याय का विरोध था
आज विरोधी का अन्याय है
वो चिल्लाता आदमी
भी
आज डर गया है
सही कहा तुमने गाँधी मर गया है
दोस्ती पर जान देते
अब दोस्त ही जान लेते
पहले दिल टूट गया
अब तो जिगर गया है
सही कहा तुमने गाँधी मर गया है
जीते थे सब प्यार से
बैर रह गया अब बस
दुनिया छोड़ कर चला गया
दिलों से भी आज गुज़र गया है
सही कहा तुमने गाँधी मर गया है
सही कहा तुमने गाँधी मर गया है
3 comments:
ultimate!!!! such a thot...
Wow... bhai your writing has made me your fan.
Beautiful words, majestically decorated.
Thanks.
What so ever written is true reality of today's life.Everything opposite is happening.As per our Shastras it is Ghor Kalyug. Now from where we will see our Father of Nation's true thoughts...!!!
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