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Sunday, February 12, 2012

ज़रा ज़रा सा तुझे ... इन शेरों में डालता हूँ.... तुझे दिल से निकालने की ... बस ये तरकीब बाकी है....

1 comment:

Gulzared said...

बहुत सुन्दर मिथिलेश जी !!