
हाँ ... मौसम की पहली बरसात थी...
कुछ दूर साथ चले थे हम....
आपस में कुछ बातें की थी...उन टकराती उंगलिओं ने ...
बूंदों ने न जाने... कितने घर बनाये थे.. तुम्हारे हाथों में...
सड़कों पे पानी बहा था.. वक़्त की तरह.....
आसमानों में रंग भर रखा था... काले बादलों ने..
कुछ गुनगुनाया था तुमने... बिजलियों के संग...
हाँ ... मौसम की पहली बरसात थी...
कुछ दूर साथ चले थे हम....
Bahut Khub kaha aapne
ReplyDeleteहाँ ... मौसम की पहली बरसात थी...
कुछ दूर साथ चले थे हम....
आपस में कुछ बातें की थी...उन टकराती उंगलिओं ने ...
बूंदों ने न जाने... कितने घर बनाये थे.. तुम्हारे हाथों में.